Sunday, January 4, 2015

Krishna life for link


Load Krishna


कृष्ण और उनका जीवन

'न कोई मरता है और न ही कोई मारता है, सभी निमित्त मात्र हैं...सभी प्राणी जन्म से पहले बिना शरीर के थे, मरने के उपरांत वे बिना शरीर वाले हो जाएँगे। यह तो बीच में ही शरीर वाले देखे जाते हैं, फिर इनका शोक क्यों करते हो।'- कृष्
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भगवान कृष्ण की बाल लीलाएँ



कृष्ण एक किंवदंति..., एक कथा..., एक कहानी...। जिसके अनेक रूप और हर रूप की लीला अद्भुत। प्रेम को परिभाषित करने वाले, उसे जीने वाले इस माधव ने जिस क्षेत्र में हाथ रखा वहीं नए कीर्तिमान स्थापित किए। 

माँ के लाड़ले, जिनके संपूर्ण व्यक्तित्व में मासूमियत समाई हुई है। कहते तो लोग ईश्वर का अवतार हैं, पर वे बालक हैं तो पूरे बालक। माँ से बचने के लिए कहते हैं- मैया मैंने माखन नहीं खाया। माँ से पूछते हैं- माँ वह राधा इतनी गोरी क्यों है, मैं क्यों काला हूँ? शिकायत करते हैं कि माँ मुझे दाऊ क्यों कहते हैं कि तू मेरी माँ नहीं है। 'यशोदा माँ' जिसे अपने कान्हा से कोई शिकायत नहीं है? उन्हें अपने लल्ला को कुछ नहीं बनाना, वह जैसा है उनके लिए पूरा है। 

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कृष्ण है सनातन पथ

जन्म: 3112 ईस्वी पूर्व

।। ॐ कृष्णाय वासुदेवाय हरये परमात्मने।। प्रणतः क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नमः। ॐ।

''हे धनंजय! मुझसे भिन्न दूसरा कोई भी परम कारण नहीं है। माया द्वारा जिनका ज्ञान हरा जा चुका है, ऐसे आसुर-स्वभाव को धारण किए हुए, मनुष्यों में नीच, दूषित कर्म करने वाले मूढ़ लोग मुझको नहीं भजते।''- गीत
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